- 6 Posts
- 0 Comment
मेरे एक अदद असली मरहूम बाप में एक आदत बहुत ही नुक्ता चीनी वाली थी, वह हर आने वाले आम और खास लोगो से मुखातिब होने से पहले, उनकी नजरे उस मेहमान के जूते पर होती थी. अगर उसके जूते का रंग काला है और जूता साफ़ सुथरा है तो उसे वह आदर के साथ अन्दर ले जाते थे. अगर उसके जूते का रंग कही भूरा या लाल हुआ तो, उसको वह दरवाजे से ही पूछताछ करके बेक गियर में वापस भेज देते थे. बाप की यह आदत मुझको बहुत ही नगवार लगती थी लेकिन चाह कर भी, मे कुछ नहीं कर सकता था.
मेरे घर आने वाले मेहमान की आवभगत उसके जूते के आधार पर की जाती थी. मेरे घर में एक ग्रामोफोन हुआ करता था, जो किसी खास मेहमान के चलाया जाता था. उसमे एक ही गाना था “मेरा जूता है जापानी यह पतलून इंगलिश्तानी सर पर लाल टोपी फिर भी मेरा दिल है हिन्दुस्तानी” जबसे मैंने होश संभाला था तभी से यह गीत मे सुनता चला आ रहा हूँ. कई बार दिल में आया की बाप से उनकी इस पसंद का राज पूछूँ..क्यों की मैंने कभी भी उनको लाल टोपी पहने नहीं देखा था. रही जापानी जूते के बात तो उन्होंने तो सारी जिंदगी लकड़ी की खडाउ ही पहनी थी. और इंग्लिश पतलून की बात भी तो मेरे गले कभी नहीं उतरी है. क्यों की सारी जिंदगी वह रामनामी दुशाला पहने रहे. उनका विलोम करेक्टर उनको रहस्यमय बनाए हुए था.उनकी मेहमान नवाजी का यह दस्तूर समझू. लेकिन फिर वही रोना की कैसे उनसे बात करू. हाँ, एक बात और भी थी की, अगर वह खास मेहमान मूंछ वाला है तो समझ लो उसकी चांदी है. अगर उसके सीने में बाल है तो भले ही मेहमान कितना ही डरपोक क्यों नं हो मगर वह उनकी नजर में महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान से कमतर नहीं होता था. उसकी आवभगत में कोई भी कसर नहीं बाकी नहीं रक्खी जाती थी. उनको हर चिकनी चीजो और लोगो से उतनी ही नफरत थी जितनी दिल के रोगी को मलाई मक्खन से.चिकना शब्द उनकी डायरेक्टरी गायब था.
हर व्यक्ति को एक न एक दिन तो ऊपर जाना ही होता है. जब उनको लगा की उनका भी ऐसा दिन अब नजदीक है, तो बस एक दिन उन्होंने मुझको अपने पास बुलाया और समझाया की देखो कभी भी किसी चिकने का साथ और उसपर विश्वास नहीं करना. क्योकि यह लोग हरामी होते है.यह शंकर प्रजाति की कौम है. हम आर्यन लोग है, काला रंग हमलोगों को भगवान् की देंन है. यह ईश्वरीय रंग है, जितने भी भगवान् और मर्यादित लोग धरती पर हुए है सभी का रंग सांवला था. जैसे ब्रह्मा-विष्णु-महेश, श्री राम, श्री कृष्ण, श्री शंकर भोले, पवनसुत हनुमान जी, और जितने भी महान विभूतिया आदि. काला रंग विश्वास, मर्दानगी, पराकर्मी, बहादुर, स्वामिभक्ति का प्रतीक है. इसलिये काले रंग का जूता धारक हमेशा सम्मान का पात्र है. जो लोग लाल, भूरा रंग का जूता पहनते है वह लोग धोखेबाज और मक्कार टाइप के लोग होते है. वैसे भी गोरे-भूरे (मुग़ल) और फिरंगी (अंग्रेज)लोग आतताई होते है. इनलोगों पर ” गंजेरी यार किसके और दम लगाकर खिसके” वाली कहावत चरितार्थ होती है. इन लोगो ने धोखा देकर काले लोगो को गुलाम बनाया. यह चिकने लोगो की जमात है, जो अपनी जुबान से मुकर जाते है. गोरे और चिकने लोग बस…..>
इनदिनों तो लोग अब रंग बिरंगे रंग के जूते पहनते है. अगर मेरे बाप जिन्दा होते तो उनको पता चलता की उनका कथन कितना सटीक है. सपने में उन्होंने मुझको बताया की यह लोग रंगीन मिजाज वालो की कौम है. इनको तीसरी दुनिया का ख़िताब हासिल है. स्वर्ग में सभी लोग काले रंग के जूते पहनते है. अंधकार काला होता है, यह बड़ा ही डरावना होता है, सभी को अपने में समेटने की कला है इसमे. धरती पर भले ही गोरो का राज हो परन्तु स्वर्ग में सिर्फ काले लोगो का राज है. इनदिनों मेरी मुलाकात नारद जी से हुई है. उनकी प्रबल मनसा है भारत भ्रमण की. मैंने उनको बताया है की अब आप वहा न जाए. अब वोह पहले वाला भारत नहीं है. अब साधु-संत रंग बिरंगे जूते पहनते है और पूरे ठगी का जाल फैला रक्खा है. इसलिए अब आपको भी लोग वही समझेंगे. नारायण…नारायण…भारत जी, तुम्हारा ध्यान सिर्फ जूते पर ही है.अब समझ में आया की इसीलिए कलयुग में अब वहा के राज प्रहरी लाल और भूरा जूता क्यों पहनते है? [youtube]हाय..जूते में स्वर्ग[/youtube]
Read Comments